13 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आयकर विधेयक 2025 पेश किया। यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम को बदलने और सरल बनाने का उद्देश्य रखता है, जो पिछले छह दशकों से लागू था। यह नया विधेयक भारत के कराधान प्रणाली को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और करदाता के अनुकूल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कदम सरकार की लगातार कोशिशों का हिस्सा है, जो देश के राजकोषीय ढांचे को सुधारने, कर अनुपालन को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए है।

नए आयकर विधेयक 2025 में प्रमुख बदलाव:
1: कर संरचना का सरलीकरण:
नए विधेयक में सबसे बड़ा बदलाव कर संरचना का सरलीकरण है। विधेयक के तहत प्रावधानों की संख्या 823 से घटाकर 536 कर दी गई है और कर कानून की पृष्ठों की संख्या 823 से घटाकर 622 कर दी गई है। इस कदम से पुराने और अप्रचलित प्रावधानों को हटाकर कर प्रणाली को अधिक समझने योग्य और सुलभ बनाया गया है। इस संरचना को सरल बनाने का उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ाना और करदाताओं के लिए नियमों को समझने में आसानी पैदा करना है।
2: ‘कर वर्ष’ की अवधारणा का परिचय:
आयकर विधेयक 2025 में एक नई अवधारणा ‘कर वर्ष’ का परिचय दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) और मूल्यांकन वर्ष (जिसमें आय का मूल्यांकन होता है) के बीच के भ्रम को दूर करना है। इस बदलाव से करदाताओं के लिए आय और करों की रिपोर्टिंग प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और त्रुटियों को कम किया जाएगा।
3: आयकर स्लैब में बदलाव :
विधेयक में नए कर प्रणाली के तहत आयकर स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं। इस बदलाव का उद्देश्य मध्य वर्ग पर कर का बोझ कम करना है। कर स्लैब और दरों को बदलकर सरकार का उद्देश्य घरेलू खर्च और बचत को बढ़ावा देना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
4: मानक कटौती में वृद्धि :
मानक कटौती में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पहले जहां मानक कटौती ₹50,000 थी, अब इसे बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है। इस बदलाव से वेतनभोगी व्यक्तियों और पेंशनभोगियों को अधिक राहत मिलेगी, जिससे उनकी कर योग्य आय कम हो जाएगी। यह परिवर्तन विशेष रूप से निम्न और मध्य आय वर्ग के करदाताओं के लिए फायदेमंद होगा।
5: सहयोग और विवाद समाधान का सरलीकरण:
नया विधेयक करदाताओं के लिए सहयोग और विवाद समाधान प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए प्रावधान करता है। इसके तहत कर कानूनों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, ताकि करदाताओं को अपनी जिम्मेदारियों को समझने में आसानी हो। इसके अलावा, विधेयक में कर विवादों के समाधान के लिए तेज़ और प्रभावी प्रक्रियाएँ प्रस्तावित की गई हैं, जो विवादों के निपटारे में तेजी लाने में मदद करेंगी
करदाताओं के लिए निहितार्थ:
नए आयकर विधेयक 2025 के तहत किए गए बदलावों का भारतीय कर प्रणाली पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। मध्य वर्ग के करदाता आयकर स्लैब में बदलाव और मानक कटौती में वृद्धि के कारण अपने कर बोझ में कमी देखेंगे। इसका परिणामस्वरूप उनके पास अधिक डिस्पोजेबल आय होगी, जो घरेलू खपत और बचत को बढ़ावा देगी।इसके अलावा, कर कानूनों का सरलीकरण और ‘कर वर्ष’ की अवधारणा का परिचय करदाताओं के लिए कर फाइलिंग प्रक्रिया को आसान बनाएगा। इससे करदाताओं की गलती की संभावना कम होगी और अनुपालन में वृद्धि हो सकती है।
विवाद समाधान प्रक्रिया का सरलीकरण करदाताओं को जल्दी और सस्ता समाधान प्रदान करेगा, जिससे कर प्रणाली पर उनका विश्वास बढ़ेगा और अधिक लोग अपने कर दायित्वों को निभाने के लिए प्रेरित होंगे।
निष्कर्ष:
आयकर विधेयक 2025 भारत की कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। कर संरचना को सरल बनाने, ‘कर वर्ष’ की अवधारणा पेश करने और कर स्लैब में संशोधन करने के साथ, यह विधेयक कर प्रणाली को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने का वादा करता है। इसके अलावा, मानक कटौती में वृद्धि और अनुपालन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने से करदाताओं को राहत मिलेगी, विशेष रूप से मध्य आय वर्ग के लोगों को।
इन सुधारों के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि ये सुधार करदाताओं को अधिक सक्षम बनाएंगे, अधिक बचत और खपत को बढ़ावा देंगे और अनुपालन को बढ़ावा देंगे। सरकार के इन प्रयासों से आयकर प्रणाली अधिक पारदर्शी, प्रभावी और करदाता के अनुकूल बनेगी।