आज दिन में जब हल्द्वानी नगर निगम की टीम बनभूलपुरा के पास मलिक के बगीचे में अवैध मदरसे और नमाज स्थल को गिराने पहुंचे . तभी उपद्रवियों ने भारी पथराव किया और नगर निगम के बुलडोजर को भी तोड़ दिया . उसके बाद उपद्रवियों ने पुलिस और नगर निगम के कर्मचारियों का साथ हातापाई की और नगर निगम का बुलडोजर भी तोड़ दिया। सुत्रो के अनुसार लोग अपने घर की छत पर चढ़ गए और पुलिस और नगर निगम के लोगो पर पथराव करने लगे ,जिसमे पुलिस और नगर निगम के लोगो को काफी चोट लगी।पुलिस ने अपने बचाव में कई आशू गैस की फायरिंग भी की।

जिसको चलते हल्द्वानी कोतवाली के. सारे पुलिस वालो को बुलाया गया और 3 बसें रिजर्व पुलिस के बुलानी पड़ी.देखते हे देखते पुरा हलद्वानी शहर छावनी में बदल गया और इस दौरान आगजनी भी हुई.
माजिद गिराने के बाद उपद्रवियों का गुस्सा इतना बिगड़ गया उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाना फूंक दिया। साथ ही कई गाड़ियां भी जला दी। जिसके डर से पूरा हल्दवानी बाजार बंद हो गया।नैनीताल जिला प्रशासन ने हलद्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है और बनभूलपुरा क्षेत्र की ओर जाने वाली सभी सड़कें बंद कर दी गई हैं। पुलिस को उपद्रवी तत्वों से सख्ती से निपटने और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है
उत्तराखंड के हलद्वानी के बनभूलपुरा इलाके में गुरुवार को पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प में 30 से अधिक लोग घायल हो गए, जब जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक टीम ने इलाके में एक ‘अवैध मदरसे’ को ध्वस्त करने का प्रयास किया। उपद्रवियों ने थाने का घेराव किया, अधिकारियों पर पथराव किया, वाहनों और सार्वजनिक संपत्ति को आग लगा दी.. सभे धायलो को सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में लाया गया। जिसमें 20 पुलिस वाले और 10 नागरिक को चोट लगी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने की आपात बैठक की घोषणा
वहीं इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है और उपद्रवियों को गोली मारने का आदेश दिया है. बिगड़ते हालात को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने हल्द्वानी में कर्फ्यू घोषित कर दिया है और इसके साथ ही दंगा करने वालों के खिलाफ UAPA के अंतर्गत कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. वहीं सीएम धामी ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ हालात की समीक्षा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.
बनभूलपुरा वही इलाका है जहां रेलवे ट्रैक के किनारे दो किमी की दूरी में रहने वाले सैकड़ों मुस्लिम परिवारों को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि रेलवे ने उन्हें यह कहते हुए बेदखली का नोटिस दिया है कि उनके घर उसकी जमीन पर बने हैं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा बेदखली के आदेश के खिलाफ हफ्तों के विरोध के बाद, निवासियों ने बाद में सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया और मामला विचाराधीन है।